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Holi ke chand panktiyaan

सुबह की धूप की गर्माहट में है आज कोई बात . हर पेड की डाली पे है कैसा फूलों का बहार . लाल , पीला , नारंगी , हरा , हर रंग का है विस्तार . ख़ुशी मनाओ , नाचो - गाओ आया बसंत बहार ! हवा की लहरों में है आज , मन क्यूँ जाता डूब ? चार दीवारों का बंधन तोड़ , नाच उत्ता है खूब . छोटे - बढे , नर - नारी , हर चेहरे पे ख़ुशी का सार . ख़ुशी मनाओ , नाचो - गाओ आया बसन्त बहार ! पिचकारी से निकले रंग , भर देता है किसी का दामन . पीले हो गए हाथ किसी का , रंग गया किसी का आँगन . हवा में लहराती चुनरिया , गोरी का रंग गया है निखार . ख़ुशी मनाओ , नाचो - गाओ , आया बसंत बहार ! होली - है , होली है , नारों से गूँज रही हर गली . झूमते , गाते , मौज मानते हर गली मस्त मौजों की टोली. और अमवा की झार पे बैठ कोयल कहें पुकार ख़ुशी मनाओ , नाचो गाँव , आया बसंत बहार !