एक प्रयास

कोशिश….सिर्फ़ कोशिश…
रास्ते के चौराहे पर बैठा पाण्डेय जी का,
चाय बनाकर बेचने की कोशिश.
इकबाल का फुटपाथ पर बैठ,
जूतों को चमकाने की कोशिश.
माधव का अपनी ऑटो को पुलिस की नज़रों से बचाकर,
पैसेंजर से भरने की कोशिश.
अनजान कोई भिखारी का,
हाथों में कटोरी लिए,
भीख मांगने की कोशिश.
टेलीफोन को कानों से लागाये हुए,
बातों की जाल में,
किसी को मोह लेने की कोशिश.
कोशिश......सिर्फ़ कोशिश...

आख़िर आदमी कर ही क्या सकता है!
कर्म ही सत्य है, कर्म ही पूजा है!
हाथों की रेखाओं में कैद तकदीर का चाभी
शायद भगवन ने कहीं खो दिया है!

हर आदमी अब जुट गया है.
कोशिश में लगा है.
की किसी तरह अपनी तकदीर का चाभी मिल जाए.
आख़िर भगवान् से रूठ कर बैठ तो नही सकते?

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